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अनंगधश तभीअकाशमार्गगमनकसहर विद्याधर अनंगधरापर मोहिहोनीचे उतर आया प्रतिष्ठित पुरकेराजाविद्याधर पुनर्वसूकी दृष्टिझूलतीअनंगपर
पड़ गयी.
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आह! कितनी सपमतीकन्याहये क्योंनइसे अपनी
अपनी रानीबनाना होसकता। चाहता हूँ।
अनगधाराकइंकार परवह उसेबल. -पूर्वक विमान में बिछाकर उड़ गया
(भागा!
महाराजको खबरदो
महाराज अपने सैनापति को आदेश देते.....
सेनापति! जाओ तुरन्त उस दुष्ट सेकिसी भी प्रकार अनंगधरा को हुड़ाकरलाओ।
महाराजगजब) (होगया महराज
क्याहआ?
महाराज!
राजकमाराजा
को उठालेगया
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