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जैन जाग्रति चित्रकथा
यदि यह आत्मा कहीं भी रागद्वेष) नकरें और
अपने जान स्वरुप मैं ही सावधान रहे तो सच्चा सुख प्राप्त कर सकता
अतः हमे कितनी भी विषम परिस्थितियाँक्यों इस प्रकारवह सुन्दरबलिका समयकै साथ न आयें, अपने परिणाम मलिन नहीं
बढ़ते हुए अपनीयौवनावस्थाको प्राप्तहोताहै. बनाने चाहिये। सदा समता भाव धारण करना चाहिये।
इस प्रकार अनंगधशको धार्मिक ज्ञान भीहोजाना
फा
एकदिन अनंगधरा-सखियोकेसाथबागमे पहुंची।
ड्रामाझला