________________ उ4 मुक्ति-कमिम्स. आत्मग्लानि के भश अंगारक नगीना लेकर शजा के पास गया. अपराध क्षमा करें राजन ये लो अपना नगीना और स्वर्ग- इस अड़-रत्न को लगाने में मैंने अमूल्य नर - जन्म यू ही गवाया। अरे क्या हुआ? क्या तुमने रत्न लगाना बन्द कर दिया ? नहीं राजन ! रत्न लगाने का काम तो अब शुरू कर रहा हूँ। अपने शुद्धात्मद्रव्य में संयमरत्न - जिसके लिए ये दुर्लभ मनुष्यजन्म मिला है | हमारा पूरा राज्य धन्य, तुम्हारे विचारों पर / / धन्य है अंगारक. (समाप्त