________________ उपनगणितणीत 20-30 .विजहतुः समं देशामुदेशं शामिनामुना / . परासहसहौ तप्यमानौ पोषत्रतोबतौ // 27 // . पुनरप्यागमत्तत्र दुर्गमे नगरे क्रमात् / / केवली दुर्गिलोयाने समं ताभ्यां कदाचन // 28 // अल्पमायुः कुमारस्यावधेर्मत्वाऽथ यक्षणी / समागत्य ततोपृच्छज्ज्ञानिनं सत्वरं तदा // 29 // आयुर्वर्धयितुं स्वल्पं कथंचिच्छक्यते विभो / संधातुमीशतेहन्तोप्यायु हेति केवली // 30 // श्रुत्वैतद् भ्रष्टसर्वस्ववनिरुत्साहमानसा / यक्षिणी स्वगृहं प्राप्ता पृष्टाद्धा कुमरेण सा // 31 // खिन्नवद् दृश्यसे किं त्वं सावादीमात्र कारणम् / सादरं च तलः पृष्टा केवलिप्रोक्तमाह सा // 32 // ततः संवेगमापन्नः प्राह केवलिसंनिधौ / प्रिये मां नय तूर्ण सानैषीतं ज्ञानिसंनिधौ // 33 // ज्ञानिनं तं प्रणम्यैषः न्यषीदत्तत्पुरस्लसः / आरोदिषातां तं वीक्ष्य पितरावस्य मोहतः // 34 // वन्दस्व पितरावेतौ इत्येवं प्राह केवली / कथयामास पृष्टः सन् तत्स्वरूपं च केवली // 35 // सोत्कण्ठं कुमरः प्राग्वदालिङ्ग्य पितरौ निजौ / रुदनिकामं यक्षण्या कष्टादथ न्यवार्यत // 36 // स्ववस्त्रांचलके ता साश्रुद्धशौ तस्य निमार्य च। ज्ञामिक्रमाजमूले च न्यवेश्यत पुनस्तया // 37 // .