________________ कुम्मापुतचरि [117-121 उक्तं च दशवकालिके * "तथिमं पढमं ठाणं महावीरेण देसि / __ अहिंसा निउणा दिहा सव्वभूएसु संजमो" // 117 / / उपदेशमालायाम्• “छज्जीवनिकायदयाविवजिओ नेव दिक्खिओ न गिही। जइधम्माओ चुक्को चुक्कइ गिहिदाणधम्माओ" // 118 // इअ मुणिवरवयणाई सुणिउं घणगजिओवमाणाणि / देवीए मणमोरो पैरमरमुल्लासमावनो // 119 // पडिपुण्णेसु दिणेसुं तत्तो संपुण्णदोहला देवी। पुत्तरयणं पसूया सुहलग्गे वासरम्मि सुहे // 120 // तेत्र चावसरे तिहां वज्जइ तूर सुतडयदंत, गयणंगणि गजइ गर्डयडत / वरमंगल गलभेरिसाद, नफेरी सुणीइ नेवनिनाद // 121 // 1 अ पुस्तके ' उक्तं च दशवैकालिके ' इति न दृश्यते। 2 अज पुस्तकयोः 'उपदेशमालायाम् ' इति न दृश्यते छज्जीव० इत्यादेः प्राक् / 3 ख ब गिहिंदाण; छ. गिहदाण. 4 ग ब परमसमुल्लास;ट परमं उल्लास. 5 क.अत्र चावसरे; अपुस्तके 'तत्र चावसरे' इति नोपलभ्यते. 6 ब सुतडयंत. 7 अ क ख छ ट गयणंगण गज्जइ गरुयरंत; त. गयणंगणि गज्जइ गरुयरुत 8 ग. गुरुयरंत 9 त. नवनिनादी. ....