________________ कुम्मापुत्तचरिअं [104-111 देवि तुम पडिपुण्ने नवमासे सड्ढसत्तदिणअहिए। बहुलक्षणमुणजुत्तं पुत्तं पाविहिसि जेगनित्तं // 104 // इअ नरवइणो वयणं मुणिऊणं हट्टतुट्टनिअहिअया। नरनाहअणुनाया सा जाया नियगिहं पत्ता // 105 // तत्थ य कुमारजीवो देवोउं पालिऊण कुम्माए / उअरम्मि सुकयपुण्णो सरम्मि हंसुं व्य अवइण्णो // 106 // रयणेण रयणखाणी जहेव मुत्ताहलेण सुत्तिउडी / तह तेणं गन्भेणं सा सोहग्गं समुव्वहई // 107 // गब्भस्सणुभावेणं धम्मागमसवणदोहलो तीसे / उप्पन्नो सुहपुण्णोदएण सोहग्गसंपन्नो // 108 // तो तेणं नरवइणा छइंसणनाइणो नयरमज्झे / सदाविआ जणेहिं कुम्माए धर्मसवणकए // 109 // व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलाइविहिधम्मा / निअपुत्थयसंजुत्ता संपत्ता रायभवणंमि // 110 // कैंयआसीसपदाणा नैरवइणा दत्तमाणसंमाणा। भदासणोवविट्ठा नियनियधम्मं पयासेति // 111 // 1 अ ग त. जगमित्तं; ट जगनन्नं. 2 अ ख छ ट. देवाउ, 3 ख घ छ ब. हंस ब्व. 4 त. उव्वइन्नो. 5 अ दोहिलो; क दोहिला. 6 ख च संपत्तो. 7 त. वाइणो 8 अ धम्मस्सवणकहाए. 9 अ नियऊहयसंयुत्ता. 10 अ. कयआसीसपहाणा; ज. कयआसणप्पदाणा. 11 त. नरवयणा.