________________ Notos and which are briefly enumerated in the following verse which ocours verbatim both in the नवतत्त्वप्रकरण (verse. 38), and in Devendrasari's कर्मग्रन्थ I. (verse 3.):" इह नाणदसणावरणवेअमोहाउनामगोयाणि। विग्धं च पणनवदुअठवीसवउतिसयदुपणविहं॥" Thus भानावरणीयकर्म has got 5 Prakritis viz. (I) मतिज्ञानावरणीय, (2) श्रुतक्षानावरणीय (3) अवधिज्ञानावरणोय (4) मन:पर्यवज्ञानावरणोय and (5) केवलज्ञानावरणीयThe दर्शनावरणोयकर्म has got 9 Prakritis (of. कर्मग्रन्थ I. verse 9. line 2. which says: " दसण चउ पण निहा, वित्तिसमं दसणावरणं // " Thus they are (I) चक्षुदर्शनावरणीय, (2) अचक्षुदर्शनावरणीय, (3) अवधिदर्शनावरणीय, (4)केवलदर्शनावरणीय, (5) निद्रा, (6) निद्रानिद्रा, (7) प्रचला, (8) प्रचलाप्रचला, (9) थीणद्धि (Sk. स्त्यानगृद्धि i. e. 'somnambulism or walking-in-sleep, '-see. Hem. VIII. 1. 74. & VIII. 2. 66). The four दर्शनावरणीय प्रकृतिउ are explained thus in कर्मग्रन्थ I. verse 10 :"चख्खूदिठिअचख्खू-सेसिंदिअ ओहि केवलेहिं च / दसणमिह सामन्नं तस्सावरणं तयं चउहा // "... - and the fire fagts are explained in verses 11. and 12. line. 1. as follows: "सुहपडिबोहा निहा निहानिहा य दुल्खपडिबोहा। पयला ठिओवविठस्स पयलापयला उ चंकमओ // दिधितिअत्यकरणी, थीणद्धी अद्धचकिअदबला।"