________________ प्रकासकीय वक्तव्य ॐ श्री बीतरागाय नमः प्रसन्नता की बात है कि अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद के आद्य संस्थापक 'जैन धर्म भषण' 'धर्म दिवाकर ' श्रध्देय पूज्य स्वर्गीय ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद जी की जन्म-शताब्दी समारोह की शुरूआत सन् 1978 में परिषद के भिन्ड ( म० प्र.) अधिवेशन के समय, जिस शालीनता के साथ हई थी, उतनी ही शालीनता और भव्याकर्षक समारोह के साथ उनकी शताब्दी समापन समारोह का आयोजन भी गत बर्ष अक्टूबर सन् 1982 में परिषद् के कानपुर अधिवेशन के पश्चात ही पूज्य ब्रह्मचारी जी की जन्म एवं आद्य कर्म भूमि लखनऊ तथा उनकी समाधि स्थल जैन वाग, डालीगंज, लखनऊ (उ० प्र०) में सम्पन्न हुआ। परिषद् के अध्यक्ष होने के नाते मझे श्रध्देय ब्रह्मचारी जी के सम्बन्ध में इस अवधि में उनके व्यक्तित्व एवं कृत्तित्व और उनके क्रिया कलापों के और भी सन्निकट आने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ है। ___ शताब्दी-समापन समारोह के स्वागताध्यक्ष इतिहास-मनीषी डा० ज्योतिप्रसाद जी जैन 'विद्या वारिधि' ( लखनऊ उ० प्र०) थे, और मुख्य अतिथि के रूप में उनके समीप मंच पर मैं भी बैठा था / मैंने आदरणीय डा. सा० से आनी भावाभिव्यक्ति स्पष्ट की पू० ब्रह्म जी के जीवन पर कम से कम एक पुस्तक तो प्रकाशित होनी चाहिए और तुरन्त ही उन्होंने इस सम्वन्ध में अपनी राय भी स्पष्ट की और बताया कि पू० ब्रह्म० जी सम्बन्धी पुस्तक की पाडुलिपि, जो उन्होंने