________________ चौ० जयचन्द्र . वह धर्म प्रचारक थे पर राष्ट्रीयता से ओतप्रोत थे, जल्दी से जल्दी भारत को स्वतन्त्र देखना चाहते थे। . श्री जगत प्रसाद सी. प्राई. ई. ____उनको समयसार की टीका नै मेरी बहुत सी शंकाओं और कठिनाइयों को हटा दिया / मैं ब्रह्मचारी जी को अपना आत्मगुरू मानता हूं। पं० राजेन्द्र कुमार न्यायतीर्थ ... पिछले 50 वर्ष में समाज में जो भी प्रगति हुई है या यों कहिए कि शिक्षा, साहित्य निर्माण, धर्म प्रचार के संबंध में जो कार्य हुए हैं, उनमें स्व० ब्रह्मचारी जी का ऊंचा स्थान है। लाला राजेन्द्र कुमार जैन ब्र० जी की प्रतिभा सर्वतोमुखी थी। इस युग के समाज निर्माण तथा उसके सभी क्षेत्रों में ब्र० जी की प्रमुख साधना और व्यापक कार्यवृत्ति थी / वीरपूजा वीरों का भूषण है / उनके पावन संस्मरण समाज के नवयुवकों में नवस्फूर्ति के भाव भरेंगे। रा. ब. सेठ हीरालाल - वह महान साधु थे / उनके संपूर्ण जीवन का एक ही उपदेश था आत्मोन्नति के साथ धर्म और समाज की सेवा करना / उन्होंने समूचे भारतवर्ष में भ्रमण कर अपने उपदेशों के द्वारा मानव जाति का अकथनीय कल्याण किया है / आज हम लोग जो कुछ भी उन्नति कर सके हैं, उसमें अधिकांश श्रेय ब्रह्मचारी जी को ही है / इसके लिए समाज की संतान उनकी सदैव ऋणी रहेगी। एक-एक मिनट का सदुपयोग उनकी प्रकृति में शामिल हो गया था। जैन इतिहास में उनका नाम हमेशा स्मरण किया जायेगा / साहू श्रेयांस प्रसाद जैन वह आत्मदृष्टा थे, अपने कर्तव्य का मार्ग अन्तरात्मा के आलोक द्वारा देखते थे, और युग की पुकार के स्वर अन्तरात्मा की वीणा पर 58