________________ वह निश्चयेकान्त में नहीं बहे, वरन सभी चारों अनुयोगों को सम्हाल कर चलते थे, अतः वह समन्वयवादी अनेकान्ती थे / क्षु० क्षु० गणेशप्रसाद वर्णी, क्षु० सहजानंद (मनोहरलाल) वर्णी प्रभति कई अन्य अध्यात्म रसिक एवं समयसारादि के व्याख्याता विद्वान भी इस युग में हए, किन्तु उन सबकी प्रवत्ति भी समन्वयवादी रही। यही बात कई एक सिद्धान्त मर्मज्ञ वर्तमान पंडितों के विषय में भी कही जा सकती खेद का विषय है कि अपने यग के अग्रणी समयसार मर्मज्ञ एवं प्रभावक आध्यात्मिक सन्त ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद जी को समय के साथ लोग भलते जा रहे हैं / ( 33 )