________________ ब्रह्मचारी जी को दिनचर्या ब्रहमचा : A प्रातः 4.30 शय्या त्याग 4.30 से 6.15 कादि लेखन 6.30-7.30 प्रातः सामायिक 7:30-8.30 नित्यकर्म-स्नानादि 8.30-10.30 जिन बदिर में देवदर्शन, शास्त्र प्रवचन एवं अपना नित्य पाठ। 10.30 वजे भोजन, जिस भावक के घर आमंत्रित होते वहाँ शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करते / तदनन्तर उस घर के सब सदस्यों को एकत्रित करके वहां उपदेश देते तथा प्रत्येक को कोई न कोई नियम लिवाते। 11.30 से 12.00 विश्राम 12.00-1.00 मध्यान्ह सामायिक 1.00-600 पत्रों के उत्तर, लेखन कार्य, जिज्ञासुओं की शंकाओं का समाधान, स्थानीय संस्थाओं आदि के विषय में चर्चा। 6.00-7.30 सायंकालीन सामायिक 8.00-6.30 जिनमंदिर में सभा करके प्रवचन, व्याख्यान, धार्मिक एवं सामाजिक विषयों पर। रविवार को, कभीकभी अन्य दिनों में भी व्यवस्था होने पर सार्वजनिक स्थान में आयोजित आम सभा में जैन धर्म, दर्शन व संस्कृति पर सार्वजनिक भाषण / 10.00 बजे रात्रि से - शयन सामान्य दिनों में सामान्यतः प्रायः यही उनकी दिनचर्या रहती थी। रेल आदि में यात्रा के कारण ही उसमें कुछ व्यवधान पड़ता था। वह अपने समय का पूरा उपयोग करते थे, एक भी क्षण व्यर्थ नहीं खोते थे। (20)