________________ भारतीय ज्ञानपीठ ने 1952 में श्री अयोध्या प्रसाद गोयलीय की पुस्तक "न-जागरण के अग्रदूत" प्रकाशित की, जिसमें सर्वप्रथम परिचय ब्रह्मचारी जी का ही है - उनके सम्बन्ध में स्वयं गोयलीय जी का भावपूर्ण संस्मरण पठनीय है / स्व० साहू शान्ति प्रसाद जी के उदार आश्वासन के बावजूद लखनऊ में शीतल छात्रावास निर्माण करने की योजना फलवती न हो पाई। श्री मूलचन्द किशनदास कापड़िया ने ब्र. जी की स्मृति में एक पुस्तकमाला चाल की थी परन्तु वह भी 3-4 वर्ष से अधिक नहीं चल पाई। सन् 1969 में परिषर परीक्षा बोर्ड के स्व. मा उग्रसेन जी ने ब्र. जी की जन्म शताब्दी मनाने की योजना बनाई / जब उन्होंने मुझसे चर्चा की तो मैंने कहा कि जन्म शताब्दी तो 1978 में होगी, किन्तु वह अभियान और उत्साह में इतने बढ़ चुके थे कि उन्हों ने कहा, न सही जन्म शताब्दी 61 वीं जयन्ति ही मनायेंगे / अतएव रविवार 2 नबम्बर, 1966 को स्व० श्रीमती लेखवती जैन, उपाध्यक्ष विधान परिषद, हरियाणा की अध्यक्षता में ब्रह्मचारी जी के समाधिस्थल, जैनबाग - डालीगंज, लखनऊ में उक्त समारोह मनाया गया। इस अवसर पर लखनऊ जैन धर्म प्रबर्द्धनी सभा की ओर से सुरेशचन्द्र जैन लिखित "ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद जी" शीर्षक से एक 24 पृष्ठीय पुस्तिका भी प्रकाशित की गई और उनकी समाधि के चबूतरे के जीर्णोद्धार की योजना भी बनी जो इधर तीन-चार वर्ष पूर्व ही पूरी हो पाई। 1677 में ही हमने ब्रह्मचारी जी की जन्मशताब्दी मनाने की चर्चा छेड़ दी थी, जिसे परिषद के 1978 के भिण्ड अधिवेशन में मूर्तरूप देने की घोषणा की गई / तबसे परिषद के तीन वार्षिक अधिवेशन हो चुके हैं और प्रत्येक में ब्रह्मचारी जी के नाम पर कुछ चर्चा, भाषण आदि होते रहे, "वीर" में हमने तथा अन्य कई सज्जनों ने उनके संबंध में लेखादि भी प्रकाशित किए, किन्तु केवल जवानी जमाखर्च होकर रह गया। कोई ठोस कार्य इस दिशा में नहीं हुआ। सन् 1978 में ही हमसे ब्रह्मचारी जी के जीवन पर एक पुस्तक तैयार करने के लिए आग्रह किया गया था और हमने पुस्तक तैयार करके "वीर" के संपादक श्री राजेन्द्र कुमार जैन को मेरठ भेज दी थी, किन्तु चार वर्ष तक वह पुस्तिका अप्रकाशित ही पड़ी रही। 1978 में लखनऊ में भारतीय जैन मिलन के वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर भी ब्र० जी की जन्म शताब्दी का लिया-दिया आयोजन किया गया और लखनऊ जैन मिलन द्वारा एक "मिलन शीतल स्मारिका" भी प्रकाशित की गई थी। ( 5 )