________________ सम्राट् खारवेल का जैन-संस्कृति को अवदान - डॉ. सुदीप जैन, नई दिल्ली सातवाहनवंश के मुकुटमणि, कलिंग की यशोगाथा के सर्वाधिक महिमामण्डित व्यक्तित्व, जैनत्व को कहकर नहीं अपितु जीकर प्रमाणित करने वाले कालजयी, परमप्रतापी अजेय-दिग्विजयी सम्राट महामेघवाहन ऐल खारवेल की यशोगाथा उनके महान् व्यक्तित्व एवं अप्रतिम कार्यों की तुलना में अपरिचितप्राय: है। जिन मनीषियों ने इन पर चर्चा भी की है, उन्होंने या तो इन्हें वैदिक धर्मानुयायी बतलाने का बलात् प्रयत्न किया है, या फिर जैन-सम्राट जानकर इनके बारे में साधारण उल्लेख से अधिक कुछ कहने से परहेज किया है। ऐसी स्थिति में एक जिज्ञासु जैन मनीषी सन्त ने आत्मश्लाघा या विवाद खड़े करने की मनोवृत्तियों से दूर रहकर एक शोधार्थी की तरह दशकों तक उस पर अध्ययन-अनुसन्धान का कार्य स्वयं किया तथा अन्य विद्वानों को भी इस दिशा में प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप जैन-संस्कृति में सम्राट् खारवेल के अवदानों की तो चर्चा हुई ही, खारवेल को जैन-सम्राट के रूप में पहिचान मिल सकी। वे हैं राष्ट्रसन्त आचार्य श्रीविद्यानन्दजी मुनिराज। इन्हीं की प्रेरणा से मैंने इस विषय में कई वर्षों तक समर्पित अध्ययन एवं अनुसन्धानपूर्वक जो महनीय-तथ्य जाने हैं, उन्हें ही इस आलेख में सप्रमाण प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरे इस आलेख में निम्नांकित बिन्दु विवेचित रहेंगे- ." 1. जैन-संस्कृति के आधारस्तम्भ 'देव-शास्त्र-गुरु' और सम्राट खारवेल. 2. जैन-संस्कृति का महामन्त्र और हाथीगुम्फा-अभिलेख. 3. जैन-संस्कृति के मङ्गल-प्रतीक और हाथीगुम्फा-अभिलेख. 4. जैन-आध्यात्मिक संस्कृति को जीवन्त बनाने व बताने वाले सम्राट् खारवेल. 5. जैन-सांस्कृतिक पुरातत्त्व के साक्ष्यों में सम्राट् खारवेल के जिनधर्म-प्रभावकत्व. 6. अहिंसक वीरता के जीवन्त प्रतिमान सम्राट् खारवेल. 7. जिनधर्म-प्रभावना के लिए समर्पित महामानव- सम्राट् खारवेल. 8. 'भारतवर्ष' नामकरण के आधार सम्राट् खारवेल भारत के समस्त ऐतिहासिक सम्राटों में क्यों श्रेष्ठतम हैं? और जैनत्व को जीकर भी वे अखण्ड-विजेता कैसे बन सके? 10. समाजसेवा एवं राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित सम्राट् खारवेल. 11. सम्राट् खारवेल के जैन-सांस्कृतिक अवदानों की प्रेरणामूर्ति रानी सिंधुला. -137