________________ अवतरण प्रिय पाठक और पाठिका वर्ग! ___ महात्माओं और पुण्यात्मा देवियोंकी जीवनी पढ़नेसे इस संसारमें मनुष्यकी सभी उन्नतियां हो सकती हैं। जिस किस जाति या समाजने इस जगतमें सुख-सौभाग्य प्राप्त किय है, उसने अपने देशके महान् पुरुष और स्त्रियोंके ही पुण्य चरित्रोंका अनुकरण करके प्राप्त किया है किन्तु खेदकी बात है कि ऐसी पुस्तकोंका हिन्दीमें बड़ा ही अभाव है। विशेषतः स्त्रियोंके पढ़ने और अनुकरण करने योग्य पुस्तकें तो बहुत ही थोड़ी है। इसी कारण इस अभावका यत्किंचित् पूरा करनेके लिये हमने यह उद्योग किया है। आशा है कि इससे हमारी कन्याएं और भगिनीगण लाभ उठावेंगी। जिस उद्देश्यसे यह किताब लिखी गयी है, वह यदि कुछ अंशमें भी पूरा हुआ तो उसे हम अपना परम सौभाग्य समझेंगे। इस पुस्तकमें जीवनियां ऐसी दी गई हैं जो कि ऐतिहासिक और शिक्षाप्रद हैं। आरा विनीत( स्व. ) देवेन्द्रप्रसाद जैन। 1-1-1913 /