________________ | निवेदन / सती और शीलवती आठ ऐतिहासिक जैन स्त्रियोंके आदर्श चरित्र दर्शानेवाली इस पुस्तककी नवमी आवृत्ति हमने वीर सं. 2511 में प्रकट की थी, वह भी बिक जानेसे इसकी यह दसवीं आवृत्ति प्रकट की जाती हैं। साहित्यसूरि श्री. ब्र. पंडिता चन्दाबाईजी सम्पादिक "जैन महिलादर्श" आराने इसकी प्रस्तावना लिखकर इसका गौरव और भी बढ़ाया है। तथा प्रथमावृत्तिके समय सन् 1913 में लिखी गई प्रस्तावना तथा स्व. ला. जुगमंदिरलालजी जैन बैरिस्टर व हाईकोर्ट जजकी शुभ सम्मति भी उपयोगी होनेसे फिर प्रकट की जाती है। यह स्त्रियोपयोगी अपूर्व व ऐतिहासिक पुस्तक कई आश्रमोंमें पढ़ाई जाती है व पढ़ाई जानी चाहिये। अत: जहार अभी तक न पड़ाई जाती हो वहां इसको अवश्य प्रविष्ट करना चाहिये। आशा है कि इस दसमी आवृत्तिका भी शीघ्र ही प्रचार हो जायगा। सूरत शैलेश डाह्याभाई कापड़िया वीर सं. 2523 प्रकाशक। मार्गशीर्ष वदी 11 ता. 6-12-96