________________ 24] ऐतिहासिक स्त्रियाँ और चपल हैं कि हम किसी सुन्दर वस्तुको देखते हैं तो हमें मोह अवश्य हो जाता है। भला बताईये कि जब हमारी यह दशा है तो हम कैसे आत्मिक उन्नति कर सकते हैं, हम सीताके साहससे कोसों दूर है। हममें सीता जैसा जितेन्द्रियताका लेश नहीं है। यही कारण है कि हम अभी तक अपने वास्तविक लक्ष्यके मार्ग पर नहीं पहुंचे हैं, प्रत्युत दिनोंदिन गिरते चले जाते हैं। हम सीताके चरित्रको प्रतिदिन पढ़ते हैं और अनेक व्याख्यान और उपदेशोंमें सीताकी गुण गाथा सुनते हैं, पर जब यह सोचते हैं कि हमारे कितने भाई और कितनी भगनियां सीताके गुणोंका अनुसरण करती हैं तो हमें बिलकुल निराश होना पड़ता है। यदि हमारे समाजमें दो चार ही विदुषी सती समान उत्पन्न हो जाय, तो थोड़े समय में ही हमारा महिलामण्डल उन्नतिके शिखर पर पहुंच जाय। हमें आशा और विश्वास हैं कि धर्मके महत्व और उन्नतिके अभिलाषी पाठक और पाठिकागण इस पुण्यात्मा पतिदेवताशिरोमणि सीताके चरित्रको पढ़कर कुछ न कुछ लाभ अवश्य उठायेंगे।