________________ नवग्रह अरिष्टनिवारक विधान . [31 घत्ता छन्द मुनिसुव्रत स्वामी सब जग नामी, ___ भव्य जीव बहु सुख करनं। - मन वांछित पूरै पातक चूरै, रविसुक्त पीड़ा हरनं // इति आशीर्वादः / राहु अरिष्टनिवारक श्री नेमिनाथ जिनपूजा . गोचरमें जब आय पीड़ा करे, ... नेमिनाथ जिनराज तबै पूजा करे। आठ द्रव्य ले शुद्धभाव हि आनके, .. - श्याम पुष्प मन लाय भक्तिको ठानके॥ पूजों नेम जिनेश भव्य चित्त लायके, राहु देय दुख दुष्ट राशिमें आयके। कर आननं तिष्ठः तिष्ठः ठः ठः उच्चरों, होय सन्निधि शक्ति भक्त पूजा करों॥ ॐ ह्रीं राहुअरिष्टनिवारक श्रीनेमीनाथ जिन अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भवर वषट् सन्निधिकरणं। परिपुष्पांजलि क्षिपेत् / / अष्टक (गीतीका छन्द) कनक शारी मणिजडित ले, शीत उदक भरायके। प्रभु नेम लिक चरण आगे धार दे मन लायके॥