________________ - नवग्रह अरिष्टनिवारक विधान चन्द्र अरिष्टनिवारक श्रीचन्द्रप्रभु पूजा निश पति पीड़ा, ठान गोचर लग्न विषै परे। वसु विधि चतुर सुजान, चन्द्रप्रभु पूजा करे॥ ." चन्द्रपुरीके बीच चन्द्रप्रभु अवतरै। . लक्षण सोहे चन्द्र सबनके मन हरैं॥ भव्य जीव सुखकाज द्रव्य ले धरत हैं। सोम दोषके हेत थापना करत हैं। ॐ ह्रीं चन्द्रारिष्टनिवारक श्रीचन्द्रप्रभु जिन अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं परिपुष्पांजलि क्षिपेत् / अथाष्टक. कंचन झारी जडत जडात, क्षीरोदक भर जिनहिं चढ़ात। जगत गुरु हो, जै जै नाथ जगत गुरु हो॥ चन्द्रप्रभु पूजौं मन लाय, सोम दोष तातें मिट जाय। जगत गुरु हो, जै जै नाथ जगत गुरु हो। . ॐ ह्रीं चन्द्रारिष्टनिवारक श्री चन्द्रप्रभुजिनेन्द्राय पंचकल्याणक प्राप्ताय जलं निर्वपामीति स्वाहा। मलयागिर केशर घनसार, चरचत जिन भव ताप निवार। जगत गुरु हो, जै जै नाथ जगत गुरु हो।चन्द्रप्रभु.॥ . अथाष्टक प्राप्ताय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा।