________________ / 27 ) अभ्यास-२२ ( ऊकारान्त स्त्री० ) १-*गद्य पद्य मिश्रित काव्य को चम्पू कहते हैं / संस्कृत में 'इने गिने ही चम्प हैं। २–देश की रक्षा बहुत दर्जे तक उसकी सुरक्षित सेनामों (चमू) के अधीन है और कुछ नागरिक जनता के भी। ३--यह "टूटी फूटी काया (तनू) कब तक निभेगी ? निश्चय ही "इसका विनाश आज हुअा वा कल'। ४-बहू ( वधू) सास ( श्वश्र ) को बहुत प्यारी है, कारण कि वह सुशील और 'प्राज्ञाकारिणी है। ५-इस पृथिवी (भू) पर कुछ भी स्थायी नहीं, जो भी उत्पन्न हुआ है उसका विनाश निश्चित है / 6--- जौ का दलिया (यवागू) हल्का भोजन है। यह बीमारी से निमुक्त हुए पुरुष को जल्दी हो चलने फिरने के योग्य बना देता है। ७.-वह दाद ( दद्र ) से पीड़ित है / और इस बेचारे को गीली खुजली ( कच्छू) ने भी तंग कर रखा है। - जो विधवा दुबारा पति को प्राप्त करती है उसे "पुनर्भू" कहते हैं / ६जब आप बाजार जायें तो मेरे लिये कुछ रसीले जामुन (जम्बू) लेते आवें / १०-माता (प्रसू ) का प्रतिस्नेह ही अनिष्ट की शङ्का करता है, बच्चा चाहे कितना ही सुरक्षित क्यों न हो। ११—यह जूती ( पादू ) ठीक तुम्हारे पात्रों के माप की ( अनुपदीना, पदायता ) है, इसे कारीगर ने बनाया है न? १२-इस कुप्पे ( कुतू ) में कितना घी है और इस कुप्पी (कुतुप पु० ) में कितना / १३-हे लड़की ( वासू ) तू कौन है ? हिंस्र पशुओं से भरे हुए मानुष-संचार रहित इस वन में तू किस लिये घूमती है ? १४-यह लड़का लुजा ( कुरिण ) है, इसकी छोटी बहिन ( अनुजा ) लंगड़ी (पङ्ग.) और बड़ी बौनी ( वामन ) है / संकेत-२-राष्ट्ररक्षा भूम्ना ( भूयसा ) चमूष्वायतते (चमूरन्वायतते)। 'अधीन' का संस्कृत में प्रायः स्वतन्त्र प्रयोग नहीं होता, समास के उत्तर-पद के रूप में होता है। मेरे अधीन = मदधीनम् / राजा के अधीन = राजाधीनम् / इस अर्थ में "निर्भर' का प्रयोग कभी नहीं होता। -यदा भवान् विपरिण 1-1 परिगणित-वि० / 2-2 भूम्ना। ३-कृतहस्त, कृतपुङ्ख-वि० ४-भंगुर-वि० / 5-5 अद्यश्वीनोऽस्या: पातः / ६--वश्य, वशंवद, पाश्रववि० / 6-6 उल्लाघ-वि० / 7-7 कथितस्तपस्वी। 8-8 तां पुनर्वमाहुः / / 'हम्-कर-पुनःपूर्वस्य भुवो यण वक्तव्यः' ( वा० ) /