________________ ( 151 ) प्रभ्यास-७ १-आजकल संसार में उथल पुथल है / हर एक देश शक्ति संग्रह करने और दूसरों के अधिकार को छीनने में लगा हुआ है / २-पाधी रात के समय बड़े जोर का भूचाल आया। न जाने इसका कहां कैसा परिणाम हुआ होगा। ३-निष्कारण क्रुद्ध होनेवाले समाज की आंखों में गिर जाते हैं, इस लिए हर एक को अपने मन को सदा वश में रखना चाहिये / ४-तुम्हारी घड़ी में कितने बजे हैं ? मेरी घड़ी खड़ी हो गई है। ५-त्रिय लोग धनुष धारण करते हैं ताकि प्रार्तशब्द न हो। क्षत (घाव) से रक्षा करता है इसी अर्थ में क्षत्र शब्द लोक में प्रसिद्ध है / ६-उसने मुझसे सौ रुपये ठग लिए, पुलिस उस' का पीछा कर रही है४ / ७-वह हांफता हुआ मेरी ओर पाया भौर पहुंचते ही सिर के बल पृथ्वी पर गिर गया / 8- सत्य वृद्धिशील है ऐसा वेद कहते हैं / सत्य को हो जय होती है झूठ की नहीं / ६-क्या किया जाय ? जो एक मनुष्य कर सकता है सो मैंने किया। विधाता की रेखा अमिट है। १०और किसके साथ मैं अपने दुःख को बंटा सकता हूँ-यदि अपनों से नहीं। ११उषा (लड़की का नाम) अपनी पुस्तक को रत्न की तरह रखती है और दूसरी वस्तुओं का भी पूरा ध्यान रखती है। ___ संकेत-१-अद्यत्वेऽस्वस्थं (अप्रकृतिस्थं) विश्वम् / 'विश्व' सर्वनाम है, नाम नहीं। विश्वं-सर्व-जगत् / ४-कां वेलां ते कालमापनी कथयति ? मदीया तु विरता / ६-स मां रूप्यकशतादवञ्चयत / यहां पञ्चमी के प्रयोग का ध्यान रक्खो / ठगे जाने के अर्थ में / वञ्चि (चुरा०) आत्मनेपद में ही प्रयुक्त होती है। 8-किं करोमि, मानुष्यके यदुपपाद्य तत्सवं मयोपपादितम् / अप्रमार्या वैधसी लिपिः / १०-केन साधारणीकरोमि दुःखम् ? ११--रत्लनिधायं निदधाति पुस्तकमुषा, प्रतिजागति च स्वस्योपकरणान्तरे / प्रभ्यास-८ 1- जैसे हजारों गौत्रों में से छकड़ा अपनी मां को पा लेता है, वैसे 1. संकुलम्, अधरोत्तरम् / 2-2. लोकसंमाननाया भ्रश्यन्ति / 3--3. मनस ईशितव्यम् / 4-4. तमनुसरति / (रक्षिवर्गण) तस्यानुसारः क्रियते। 5- दीर्घदीर्घ निश्वसन् / 6--6. शिरसा गामगात् /