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________________ ( 120 ) प्रतः इसे 'कलाद' भी कहते हैं / ६-जब वर्षा प्रारम्भ हुई तो मैं घर की ओर चल पड़ा / ७-*उसके जीते रहने पर मैं जीता हूँ, और मरने पर मैं मरता हूँ। ८-यदि गांधी जी का शरीरपात हो जाय तो कौन जीवित रहेगा, और यदि वे जीवित हैं तो कौन मरता है ? ६-इस बात को पाठशाला के मुख्याध्यापक' को कहने की अपेक्षा' उन्होंने पाठशालाओं के निरीक्षक से कह दिया / १०-आर्थिक कठिनाइयों के होते हुए उसे महाविद्यालय की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। ११-तुम घर में न थे इसलिए मुझे निराश लौटना पड़ा। १२-*प्राः, यह कौन हैं, जो मेरे होते हुए चन्द्रगुप्त को दबाना चाहता है। १३-क्षत्रियों के देखते हुए ब्राह्मणवेषधारी अर्जुन ने द्रौपदी से विवाह कर लिया / १४-दिन निकलने पर यात्रियों ने फिर 3 यात्रा प्रारम्भ कर दी। १५-नटखट वालक ने शहद की मक्खियों के छत्ते को हाथ लगाया ही था कि मक्खियों के झुण्डों ने उसे डंक मार-मार कर व्याकुल कर दिया। १५-पापके देखते-देखते मैं इसे मौत के घाट उतारता हूँ। संकेत-२-रुदत्या मातुः (रुदत्यां मातरि) शंकराचार्यः प्रावाजीत् / ६प्रवर्षति देवेऽहं गृहं प्रति प्रास्थिषि / ८-संस्थिते गान्धिनि को ध्रियते, ध्रियमाणे च तस्मिन्कः सन्तिष्ठते ? १०-सत्यर्थकृच्छ सोऽन्तरा व्यच्छिनन् महाविद्यालयेऽध्ययनम् / ११-त्वयि गृहेऽसंनिहिते सति मनोहतोऽहं प्रत्यावृतम् / १३-पश्यतामेव क्षत्रियाणां ब्राह्मण-बेषोऽर्जुनो द्रौपदीमुपयेमे / १५-हम यहाँ-चपले वाले मधुपटलं (चौद्रपटलम्) स्पृष्टवत्येव तं खुद्रा दंशं दंशं व्याकुलमकार्यु:-ऐसा नहीं कह सकते। ऐसे वाक्यों का अनुवाद दो वाक्यों से ही करना उचित है-यावदेव चपलो बालः तौद्रपटलमस्पृशत्, तावदेव तं क्षुद्राः.........."यहां भावलक्षणा सप्तमी का अवकाश नहीं / जिस क्रियावान् कर्ता की (प्रसिद्ध) क्रिया से कोई दूसरी क्रिया लक्षित होती है उस कर्ता में सप्तमी विभक्ति पाती है। पर वह कर्ता षष्ठी विभक्ति को छोड़ कर किसी अन्य विभक्ति में मुख्य वाक्य में नहीं प्रा सकता और न ही सर्वनाम से उसका परामर्श किया जा सकता 1--1. मुख्याध्यापके वेदयितव्ये / 2-2. गृहेऽसंनिहितः / 3-3. पुनरवहन्, प्रवाहयन्नध्वशेषम् /
SR No.032858
Book TitleAnuvad Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharudev Shastri
PublisherMotilal Banarsidass Pvt Ltd
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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