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________________ ( 61 ) (अपाजानीत, भपाह नुत् ) / ६-यदा वयमशृणुम (वयमशृण्म) तेनास्मानुद्दिश्यान्यथैव सविलापं विज्ञापिताः (अधिकृता:) तदाऽस्य प्रत्यपकर्तव्यमिति नो धीरजायत / ७–यदा वाधु षिको व्यजानात् (साधुः प्रत्येत् ) यदधमणों वाचो भङ्गयोद्धारशोधनं (ऋणविगणनम् ) परिहरतीति तदा स तं राजकुले न्यवेदयत् / ८–कि कैवर्त (नाविक) एतान् मानवान् तरणेन सनक्राया निम्नगायाः पारगमनान न्यवारयत् ? 'नदी तीर्वा समुत्तरितं न न्यवारयत्' / यह वाक्य दुष्ट है। 'नदी' यहाँ द्वितीया के प्रयोग से 'तो' का अर्थ पार ही लिया जायेगा। दूसरे यहाँ 'तुमुन्' का प्रयोग भी नहीं हो सकता, क्योंकि यहाँ 'न्यवारयत्' का कर्ता भिन्न है / १०-स मागामिनं सोमवासरं यावत् धनप्रत्यर्पणं मे प्रत्यशृणोन्न च प्रतिश्रवमरक्षत् / ११-एष आपणिको मां पणत्रयादवञ्चयत / अभ्यास-१३ ( ललकार) १-मेले में इतनी भीड़ थी, कि दम घुटा जाता था। कई एक बच्चे और बूढ़े कुचले गये और बीसियों स्त्रियाँ बेहोश हो गई। २-मैं उसकी बात को सुनकर हँसे बिना न रह सका / ३---उसके दाहिने गिट्टे में मोच आ गई। ४-मेरो बाँह उतर गई है, और मुझे असह्य वेदना हो रही है / 5- उसके सम्बन्धियों ने उसपर कलंक' का टीका लगाने में कुछ' उठा न रक्सा'। पर उसने अपने कुल की लाज बचा ली। 6 हत्यारे ने बच्चे का गला घोंट कर उसे मार डाला। और उसके भूषण उतारकर चम्पत हो गया / ७–पहलवानों ने लँगोट कस लिये और अखाड़े में उतर पड़े और चिर तक कुश्ती लड़ते रहे / ८-अन्त में अंग्रेजों की भेद-नीति का जादू चल गया और देश के कोने-कोने से मुसलमानों ने विभाजन की मांग की, जिसके परिणाम स्वरूप कांग्रेस को विभाजन स्वीकार करना पड़ा। 8बालक बैलगाड़ी के नीचे आकर मर गया, जिसपर पुलिस ने गाड़ीवान को पकड़ लिया। १०-उस राजा ने पासवाले देश पर कई भाक्रमण किये, पर वह हरवार पराजित हुमा। ११-जिस सन्दूक का ढकल टूट गया था, 1-1 तं दूषयितुम् / 2-2 सर्वात्मना प्रायस्यन् / 3-3 रक्षितं कुलयशः।
SR No.032858
Book TitleAnuvad Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharudev Shastri
PublisherMotilal Banarsidass Pvt Ltd
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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