________________ * नित्य नियम पूजा [67 // अथ जयमाला / सोरठा / श्री चौवीसजिनेश, गिरिकैलाशादिक नमो / तीरथ महाप्रदेश, महापुरुष निरवाणते / / नमो ऋषभ कैलाशपहारं नेमिनाथ गिरनार निहारं / वासुपूज्य चंपापुर वन्दौ, सन्मति पावापुर अभिनन्दों // 2 // वंदी अजित अजित पद दाता, वंदौ संभव भवदुखघाता। वंदौ अभिनन्दन गुणनायक, वंदी सुमति सुमतिके दायक 3 वंदी पद्ममुकति पदमाकर, वंदी सुपास आशपासाहर / वंदौ चन्द्रप्रभ प्रभुचंदा, वंदी सुविधि सुविधि निधिकंदा॥४ वंदी शीतल अघतपशीतल, वंदौ श्रेयांस श्रेयांस महीतल / वंदो विमल विमल उपयोगी, वंदी अनंत अनंत सुखभोगी।५ वदौ धर्म धर्म-विस्तारा, वंदो शांति शांति मनधारा / वंदी कुन्थु कुन्थु -रखबालं, वंदौ अर अरिहर गुणमालं 6 वंदौ मल्लि काममलचूरन, वंदो मुनिसुव्रत प्रतपूरन / वंदौ नमिजिन नमितसुरासुर, वंदौ पास पास भ्रम जगहर 7 बीसों सिद्ध भूमि जा ऊपर, शिखर सम्मेद महागिरि भूपर। भावसहित वन्दे जो कोई, ताहि नरकपशुगति नहिं होइ।८ नरपति नृपसुरशुक्र कहावे, तिहूँजग भोग भोगि शिव पावै / विघन बिनाशन मंगलकारी, गुणविलास वन्दौ भवतारी / 9 पत्ता-जो तीरथ जावै, पापमिटावै ध्यानै गानै भगति करें। ताको जस कहिये, संपति लहिये, गिरि के गुणको बुधउचरैं। ॐ ह्रीं श्री चतुविशति तीर्थंकर निर्वाण क्षेत्रेभ्यो पूर्णाय नि 10 इत्याशीर्वादः।