________________ 30 ] नित्य नियम पूजा जय जिनराज इतीश उचारि कियो अभिषेक जिनेश्वर तेरो। तासम शक्ति प्रमाण यहां हम ठानत भानत कर्म करेरो 3 / ॐ ह्रीं शुद्धोदकेन जिनाभिषेक करोम्यहम् / यों अभिषेक कियो अब पूरण पूजनके हित अर्क सुधारो। तीरथ को जल प्रासुक चन्दन अक्षत अक्षत पुष्प सुप्यारो / ले चरु दीपक उत्तम धूप फला करों वर मंत्र उचारो। वार धरो तुव चरणनके ढिग हो जिन तारक मोहिं उबारो॥ ॐ ह्रीं अभिषेकोत्सवसमये श्री जिनेन्द्राय अर्घ्य निर्व० स्वाहा / या उपरात शचीपती आदिक सर्वे सुरासुर स्तोत्र उचारया। हो तुम नाथ अनाथनिके पुनि मोहमहाभट उद्धत मारयो / मैं जगजाल फस्यो बहुदुःख सह्यो नहिं जात भयो दुखियारो हो करुणानिधी जाननहार तुम्ही समरत्थ मुझे अब त्यारो। व इति पठित्वा पुष्पांजलिं परिक्षिपेत् / तीन प्रदक्षिण दे शिरनाय शचीपति आदिक सर्व सुरेशा / ले चरणोदक शीश धरयो सुरनाथ प्रभुति जु नाग नरेशा / मैं धरि ध्यान प्रदक्षिण देय न तुपाद जिनेश महेशा / हो तुव पाद प्रसाद-कीमा मोक्ष महाफल शीत्र विशेषा / इति प्रदक्षिणां दत्वा नमस्कारं च कृत्वा जिनगंधोदक शिरसि धार याम्यहम् / / ले शुचि उज्वल स्वग सद्भब वस्त्र अलौकिक हस्त मंझारे। तव तन ऊपर नीर निहार शचीपती मार्जनको विस्तारे / / पुलकित सइस नमनकरि मघवा निरखत पावनरूप तिहारे / धन्य धन्य जिनराज लोकमें वसुविध कर्म जलावन हारे / / इति पठित्व जिनबिम्बस्य सम्मानम् करोभ्यहम् /