________________ 222 ] नित्य नियम पूजा जयमाला दोहा-चन्द्र वदन लक्षण विमल, निष्कलंक निष्काम / ऐसे श्री जिन चन्द्र को बंदी आठों याम / शांति मूर्ति लख आपको, काटे अनन्ते पाप / रोग शोक दारिद्र दुख, नशत आप से आप / पद्धरि छन्द जय चन्द्रनाथ द्यति अमल चंद्र,जय इन्द्रचंद्र बंदित सुचन / जय चन्द्रपुरीमें जन्मलीय, महासेन नृपति गृह शोभ कीन / जय मात लक्ष्मण गोद पाय नाना क्रीडा कीनी जिनाय / देवन कुमार संग खेल कीन,प्रभवृद्धि भये मन मोद लीन / दश लक्ष्य पूर्व वह लही आप, रहें इन्द्र अमरगण सदा साथ ले राज्य भार चिरकाल कीन, जानों नहीं काल व्यतीत हीन सब वस्त्र आभरण देव लाय, श्री जिनको संतोषित कराय / एकदिन शृङ्गार करौ जू नाय, दर्पणमें लख निज मुख सुआप एक चिह्न जू मुख पर लख प्रवीन,भव भोगन वांछा लांछदीन वर चन्द्र पुत्रको राज्य देय, संबोधित प्रभुजी स्वमेव / 'विमल' जु पालखीमें बिठाय,ले गये नाथ को इन्द्र आय / सर्वतुक बन दीक्षा सु लीन, सह इक हजार राजा प्रवीन / / कर पंच मुष्ठि से लोंच केश, धारो जु दिगम्बर नग्न भेष / था नलिन नगरपुरका सुराय, तसु नाम सोमदत्तजी कहाय / / कीनौ जु पारनों तासु गेह, जहां रत्नोंका बरसा जु मेह /