________________ 220 ] नित्य नियम पूजा देहरे के चन्द्र जिनेश अर्ज सुनहूँ मेरी / / मेटहूं भव भ्रमण क्लेश प्रभु न करा देरी / 1 // ॐ ह्रीं देहरेके श्रीचंद्रप्रभजिनेंद्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं / चंदन केशर कपूर, श्रद्धा सहित घसे / पूजत तुम चरण हजूर, भव आताप नशे ।देहरे० / ॐ ह्रीं देह रेके श्रीचंद्रप्रभजिनेंद्राय भवतापविनाशनाय चंदनं नि उज्ज्वल अक्षत जिनराज, मुक्ता सम ल्याऊं। दऊ पुज चरण ढिंग आज, अक्षय पदपाऊ देहरे.! ॐ ह्रीं देहरेके श्रीचंद्रप्रभजिनेंद्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् नि० बेला गुलाब मचकंद सुमन सुगंध भरे / तुमको पूजत प्रभु चन्द्र, काम कलंक हरे ।।देहरे०।। ॐ ह्रीं देहरेके श्रीचंद्रप्रभजिनेंद्राय कामवाणविध्वंशनाय पुष्पनिक नैवेद्य जु विविध प्रकार, षट रस बलकारी / कर क्षुधा वेदनी क्षार, भूख नशे म्हारी ।देहरे / ॐ ह्रीं देहरेके श्रीचंद्रप्रभजिनेंद्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यंनि० घृतके भर दीप जलाय, धारु तुम आगे / मम तिमिर मोह नशि जाय ज्ञानकला जागे ।।देहरे०।। ह्रीं देहरेके श्रीचंद्रप्रभजिनेंद्राय मोहांधकारविनाशनाय दीपनि शुभ धूप दशांग बनाय पावक में खेऊ / मम अष्ट करमजर जाय मोक्षधरा लेऊ / / देहरे०।। ॐ ह्रीं देहरेके श्रीचंद्रप्रभजिनेन्द्राय अष्टकर्मदहनाय धूप निर्व.। पिस्ता बादाम अनार, केला सुखकारी / धारे प्रभु चन्द्र बगार, पावे शिवनारी ॥देहरे०॥ ॐ ह्रीं देहरेके श्रीचंद्रप्रभजिनेंद्राय मोक्षफलप्राप्तये फलं नि /