________________ 214 ] नित्य नियम पूजा श्रीपाल सेठ अंजन सुचोर, तारे तुमने उनको विभोर / अरु नकुल सर्प सीता समेत, तारे तुमने निज भक्ति हेत / हे संकट मोचक भक्त-पाल, हमको भी तारो गुग विशाल / / विनती करता हूँ बार बार, होवे मेरा दुख क्षार क्षार / मीना गूजर सब जाट जैन, आकर पूजे का तृप्त नैन / / .मन वच तन से पूजे जो कोय, पावे वे नर शिवसुख जु सोय ऐसी महिमा तेरी दयाल, अब हमपर भी होवो कृपाल / / ॐ ह्रीं श्रोपद्मप्रभ जिनेन्द्राय जयनाला पूर्णाज़ नि० स्वाहा / पूजन विधि जानू' नहीं नहिं जानू आह्वान / भूल चूक सब माफ कर, दया करो भगवान / / इत्याशीर्वादः। चांदनगांव महावीर स्वामी पूजा। (स्व० श्री पूरणमलजी शमशाबाद कृत) छन्द / श्री वीर सन्मति गांव चांदनमें प्रगट भये आय कर / जिनको वचन मन कायसे मैं, पूजहूँ शिरनाय कर / / हुये दयामय नार नर लखि, शांति रूपा वेष को। तुम ज्ञान रूपी भानू से, कीना सुशोभित देश को // सुर इन्द्र विद्याधर मुनि, नरपति नवावे शीश को / हम नमत हैं नित चावसौं महावीर प्रभु जगदीश को। ॐ ह्रीं श्रीचांदनगांव महावीर स्वामिन् अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं / ॐ ह्रीं श्री चांदनगांव महावीर स्वामिन