________________ 210 ] नित्य नियम पूजा अतिशय क्षेत्र श्री पद्मपुरामें विराजित / श्री पद्मप्रभ जिन पूजा। श्रीधर नन्दन पद्म प्रभ, वितराग जिननाथ / विधन हरण मंगल करन, नमों जोरि जुगहाथ / / जन्म महोत्सव के लिए, मिलकर सब सुर राज / आये कौशाम्बी नगर, पद पूजाके काज / / पद्मपुरीमें पद्मप्रभ, प्रगटे प्रतिमा रूप / परम दिगम्बर शांतिमय, छबि साकार अनूप / / हम सब मिल करके यहां, प्रभु पूजाके काज / आह्वानन करते सुखद कृपा करो महाराज !.. ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रम जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं / ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव२ वषट् / अष्टक / थीरोदधि उज्वल नीर, प्रासुक गन्ध भरा कंचन झारी में लेय, दीनो धार धरा / / वाडीके पद्म जिनेश, मंगल रूप सही। काटो सब क्लेश महेश मेरी अज यही // 1. ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेंद्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं / 165 चन्दन केशर करपूर, मिश्रित गन्ध धरो / शीतलता के हित देव, भव आताप हरो // बाडा के० // ॐ ह्र श्री पद्मप्रभ जिनेंद्राय भवतापविनाशनाय चंदनं नि /