________________ नित्य नियम पूजा [ 209 "फल होड़ि वडगाम अनूप, पश्चिम दिशा द्रोणगिरि रूप / गुरु दत्तादि मुनिसुर जहां मुकित गये बन्दौं नित तहां // बाल महाबाल मुनि दोय, नाग कुमार मिले त्रय होय / श्री अष्टापद मुक्ति मँझार, ते बन्दौं नित सुरत संभार / अचलापूरकी दिश ईशान, जहां मेंढागिरी नाम प्रधान / साढ़े तीन कोडि मुनिराय, तिनके चरण नमूचित लाय / बंसस्थल वनके ढिग होय, पश्चिम दिशा कुन्थुगिरि सोय / कुलभूषण देशभूषण नाम, तिनके चरणनि करू प्रणाम / / जसरथ राजाके सुत कहे, देश कलिंग पांच सौ लहे / कोटिशिला मुनि कोटि प्रमान, बन्दन करू जोर जुग पान // -समवशरण श्रीपार्श्व-जिनंद, रेसिन्दोगिरी नयनानन्द / वरदत्तादि पंच ऋषिराज, ते वन्दौं नित धरम जिहाज // मथुरापुर पवित्र उद्यान, जम्बू स्वामी प्रायें निर्वाण / चरमकेवली पंचम काल, ते वन्दौं नित धर्म-जिहाज // तीन लोकके तिरथ जहाँ, नितप्रति वन्दन कीजै तहां / -मन-वच-काय सहित सिर नाय. चन्दन करहिं भविकगुण गाय संवत सतरह सौ इकताल आश्विन सुदि दशमी सुविशाल / भैय्या' वन्दन करहि त्रिकाल, जय निर्वाण कांड गुणमाल॥