________________ नित्य नियम पूजा आं को ह्रों पवन आगच्छ आगच्छ पवनाय स्वाहा // 6 // ॐ आं क्रौं ह्रीं कुबेर आगच्छ आगच्छ कुबेराय स्वाहा // 7 // * आं को ह्रीं ऐशान आगच्छ आगच्छ ऐशानाय स्वाहा // 8 // आं क्रौं ह्रीं धरणेन्द्र आगच्छ आगच्छ धरणेद्राय स्वाहा // 9 // "ॐ आं को ह्रौं सोम आगच्छ आगच्छ सोमाय स्वाहा // 10 // नाथ ! त्रिलोकमहिताय दश प्रकार / ___ धर्माम्बुवृष्टिपरिषिक्तजगत्त्रयाय // अर्घ महागुणरलमहार्णवाय / .. तुभ्यं ददामि कुसुमैविंशदाक्षतैश्च / 9 // ह्रों इन्द्रादिदशदिक्पालकेभ्यो इदं अर्ब पाद्य गंधं दोष धूपं चरु बलि स्वस्तिकं अक्षतं यज्ञ भागं च यजामहे प्रतिगृह्यता र स्वाहा // 9 // (क्षेत्रपालको अर्घ ) भो क्षेत्रपाल ! जिनपः प्रतिमांकपाल, दंष्टा कराल जिनशासनरक्षपाल / तैलादिजन्म गुडचन्दनपुष्पधूपै भॊगं प्रतीच्छ जगदीश्वरयज्ञकाले // विमल सलिलधारामोदगन्धाक्षतोघैः, ... प्रसवकुलनिवेद्यर्दीपधूपैः फलौषैः / पटह पटुतरोधैः वस्त्रसद्भूषणोधैः, जिनपतिपदभक्त्या ब्रह्मणं प्रार्चयामि // 10 //