________________ 200 ] नित्य नियम पूजा देश सर्वतोऽणु-महती / 2 / तत्स्थैयार्थ भावनाः पच-मच 3. वाइमनोगुप्तीर्यादाननिक्षेपण समित्यालोकित पानभोजनानि पंच।४। क्रोध लोभ भीरूत्व हास्य प्रत्याख्यानात्य नवीविभाषण च पच 5 / शून्यागार वि मोवितावास परोपधाकरण भैक्ष्य शुद्धि-सधर्माऽविसंवादाः पंच 6 / स्त्री रागकथाश्रवण तम्मनोहरांगनिरीक्षण पूर्वरतानम्मामध्येट स. स्वशरीरसंस्कारत्यागाः पंच 7' मनोज्ञामन ज्ञेन्द्रिय-विषय. रागद्वेषवर्जनानि पंच / 8 / हिंसादिविहामुत्रापायावद्यदर्शनं 19' दुःखमेव वा 10 मैत्री-प्रमोद कारुण्य माध्यस्थ्यानि च सत्वगुणाधिक-क्लिश्यमानाऽविनयेषु / 11 / जगत्कायस्वभावौ वा संवेग-वैराग्यार्थम् 12 / प्रमत्तयोगात्प्राग व्यपरोपणं हिंसा / 13 / असद्विधानमनृतम् / 14 / अत्तादानं स्तेयं / 15 / मैथुनंब्रह्म ! 16 मुर्छा परिग्रहः 17 निः शल्यो व्रती / 18 अगार्य नगारश्व / 19 / अणवतोऽगारी 120 दिग्देशानर्थदण्ड विरति सामायिक-पोषधोपवासोपभोगपरिभोग-परिमाणातिथि संविभाग व्रत सम्पन्नश्च 21 मारणान्तिकी सल्लेखनां जोषिता।२२॥ शंका कांक्षा-विधिकित्सान्यदृष्टि प्रशंसा संस्तवाः सम्यग्दृष्टरतीचाराः / 23 / व्रत शीलेषु पंच पंच यथाक्रमं / 24 / बन्ध-वध-च्छेदातिभारारोपणानपान-निरोधाः 25 / मिथ्योपदेश रहोभ्याख्यान कूटलेखक्रिया-न्यासापहार-साकारमन्त्रभेदाः / / 26 / /