________________ नित्य नियम पूजा [173 अनन्त चतुष्टय लक्षिकर, भूषित पारस देव / त्रिविध नमौं शिरनाय के करू पद्मावती सेव // 1 // दोहा- आह्वानन बहुविधि करौं इस थल तिष्ठो आय / सत्य मात पद्मावती, दर्शन दीजो धाय / / ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं पार्श्वनाथ भक्त धरणेन्द्र भार्या श्री षद्मावती महादेवी अत्रावतरावतर संत्रौषट् आह्वाननं / अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं / अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं / / गङ्गा हृदयनीरं सुरभिसमीरं आकृतक्षीरं ले आयो। रतननकी झारी भरिकरिधारी आनन्दकारी चितचायो / / पद्मावतिमाता जगविख्याता, दे मोहि माता मोदभरी / मैं तुम गुनगाऊँ हर्ष बढाउँ, बलि वाल जाऊँ धन्यधरी। ___ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं श्री पार्श्वनाथ भक्त धरणेन्द्र भार्याय श्री पद्मावत्यै महादेव्यै जलं निर्वपामीति स्वाहा। गोशीघिसायों केशर लायो, गन्ध बनायो स्वच्छ मई / आताप विनाशे चित हुल्लासे, सुरभि प्रकाशे शीतभई // पद्मा० / चंदनं... मुक्ताउनहारं अक्षतसारं खण्ड निवारं गन्धभरे / शशिज्योतिसमानं मिष्टमहानं, शक्तिप्रमानं पुजधरे / / पद्मा० / / अक्षतं / चम्पारु धमली केतकि सेलि, गन्ध जु फैली चहुँ ओरी। चितभ्रमर लुभायो मन हरषायो,तुम ढिग आयो मन मोरी। पमा० / पुष्पं / /