________________ नित्य नियम पूजा [ 167 (यहां कायोत्सर्गपूर्वक 9 बार णमोकार मंत्रका जाप्य करना चाहिये। कई महानुभाव उक्त महाअर्घके स्थान पर पंचपरमेष्ठि, जयमाला बोलते हैं। शांति पाठ भाषा शांतिपाठ बोलते समय पुष्प क्षेपण करते रहना चाहिये। शांतिनाथ मुख शशि उनहारी, शील गुणवत संयमधारी। लखन एकसोआठ बिराजे, निरखत नयन कमलदल लाजै / / पंचम चक्रवर्ति पदधारी, सोलम तीर्थंकर सुखकारी। इन्द्र नरेन्द्र पूज्य जिन नायक, नमो शांतिहित शांतिविधायक दिव्य विटप पहुपन की वरषा, दुन्दुभि आसन वाणी सरसा छत्र चमर भामंडल भारी, ये तुव प्रातिहार्य मनहारी / / 3 / / शांति जिनेश शांति सुखदाई, जगत पूज्य पूजौं शिरनाई। परम शांति दीजै हम सबको. प. तिन्हें पुनि चार संघको 4 वसंततिलका पूर्ण जिन्हैं मुकुट हार किरीट लाके / इन्द्रादि देव अरु पज्य पाज जाके / सो शांतिनाथ वरवंश जगत्प्रदीप / मेरे लिये करहि शांति सदा अनूप / 5 // इन्द्रवज्रा संपजकों को प्रतिपालकोंको यतीनकों औ यतिनायकों को राजा-प्रजाराष्ट्रसुदेशको ले कीजे सुखी हे जिन शांतिको दे।