________________ 162 ] नित्य नियम पूजा सुर सुरपति तित सेवकरो नित, मैं पूजौं भवतरना ।मोहि० ॐ ह्रीं आषाढशुक्लषष्ठयांगर्भमंगलमंडिताय श्रीमहावीरायाघ / जनम चैत्र सित तेरस के दिन, कुण्डलपुर कनवरना / सुरगिरि सुरगुरु पूज रचायो मैं पूजों भा हरना |मोहि। ह्रीं चैत्र शुक्लात्रयोदश्यां जन्ममंगलमंडिताय श्रीमहावीराया, मंगसिर असित मनोहर दशमी, ता दिन तप आचरना। नृपकुमार घर पारण कीनो, मैं पूजों तुम चरना ।मोहि० ॐ ह्रीं मार्गशीर्षकृष्णादशम्यां तपोमंगलमंडिताय श्रीमहावीर जिनेंद्राय अर्घ नि० स्वाहा / शुक्ल दशैशाख दिवस अरि धाति चतुक क्षय करना। केवल लहि भवि भवसर तारे, जजी चरन सुखभरना मोहि. ॐ ह्रीं वैशाखशुक्ल दशम्यां ज्ञानकल्याणकप्राप्ताय श्रीमहावीर जिनेंद्राय अर्ध नि० स्वाहा / / कार्तिक श्याम अमावस शिवतिय पावापुरतें वरना। गणफणिवृन्द जजै तित बहुविधि मैं पूजौं भय हरनामोहि. ॐ ह्रीं कार्तिक कृष्णामावश्थां मोक्षमंगलमंडिताय श्री महावीर जिनेंद्राय अर्घ नि० स्वाहा ___ जयमाला (छन्द हरिगीता) गनधर असनिधर चक्रधर हलधर गदाधर वरवदा। अरु चापधर विद्यासुधर, त्रिशूलधर सेवहि सदा / / दुखहरन आनन्द भरन, तारन तरन चरन रसाल है। सुकुमाल गुनमनिमाल उन्नत भालकी जयमाल है / 1 //