________________ नित्य नियम पूजा “घसो कश्मिर संग चन्दन मिलावो केलिको नन्दन / करत भवतापको हरनन, यजों मनिराजके चरणन 2 नंदनं / अक्षत शुभ चन्द्र के करसे, भरो कगथाल में सरसे / / अक्षयपद प्राप्तिके करणन यजों,मुनिराजके वाशन !3 अक्षतं। पहुप ल्यो घ्राणके रंजन, उडत ता मांहि मकरंदन / मनोभव बाणके हरनन, यजो मनिराजके बरगन / 4 पुष्पं / लेय पकवान बहुविधिके, भरो शुमथाल सुवरशके / असातावेदनो क्षरणन, यजों मनिराजके चरण 15/ नवेद्य। जगमगे दीप लेकरिके, रकाबी स्वर्णमें धरिके : मोहविध्वंशके करणन यजों मुनिराज चरणन 6 दीपं / अगर मलयागिरि चन्दन, खेयकरि धूपके गन्धन / होय कर्माष्टको जरनन यजों मुनिराजके चरणन ७/धू / सिरीफल आदि फल ल्यायो, स्वर्णको थाल भरवायो / होय शुभ मुक्तिको मिलन, यजों मनिराजके चरगन सफल जलादिक द्रव्य मिलवाये, विविध वादिन बजवाये / अधिक उत्साह करि तनमें, चढायो अर्घ चरणन / 9 अर्व / सोरठा-तारण तरण जिहाज, भव समुद्र के मांहि जो / ऐसी श्री ऋषिराज, सुमरि सुमरि विनती करो // 1 // पद्धरि छन्द / जयजय जय श्री मनियुगल पाय, मैं प्रगमो मनवच शीशनाय ये सब असार संसार जानि, सब त्याग कियो आतमकल्याण