________________ 152 ] नित्य नियम पूजा ॐ ह्रीं श्रीविष्णुकुमारमुनिभ्योनमः अष्टकर्मदहनाय धूप नि० लौंग लायची श्रीफल सार, पूजों श्रीमुनि सुख दातार / दयानिधि होय, जय जगबन्धु दयानिधि होय ॥सप्त.॥ ॐ ह्रीं श्रीविष्णुकुमारमुनिभ्योनमः मोक्षफल प्राप्तये फलं नि० जलफल आठों द्रव्य संजोय, श्रीमनिवर पद पूजों दोय / दयानिधि होय, जय जगबन्धु दयानिधि होय / सप्त." ह्रीं श्रीविष्णुकुमारमुनिभ्योनमः अनर्घपदप्राप्तये अर्घ नि० अथ जयमाला दोहा-श्रावण सुदी सु पूर्णिमा, मुनि रक्षा दिन जान / रक्षक विष्णुकुमार मुनि, तिन जयमाल बखान / चाल-छन्दभुजङ्गप्रयात श्री विष्णु देवा करू चर्ण सेवा ! ___ हरो जनकी बाधा सुनो टेर देवा / / गजपुर पधारे महा सुक्खकारी / धरो रूप वामनसु मनमें विचारी // 2 // गये पास बलिके हुआ वो प्रसन्ना / ___जो मांगो सौ पावो दिया ये वचन्ना / मनि तीन डग मांगी धरनी सु तापै // दई ताने ततक्षिन सु नहिं ढील थापै / / 3 / / कर विक्रिया मुनि सु काया बढाई / जगह सारी ले ली सु दृढ दो के मांह / / .