________________ 128 ] नित्य नियम पूजा पंचकल्याणक सवार्थसिद्धि” चये मरुदेवी उतर आय / दोज असित आषाढकी जजू तिहारे पाय / / ॐ ह्रीं आषाढकृष्णाद्वितीययां गर्भ कल्याणकप्राप्ताय श्रीआदि-- नाथ जिनेंद्राय अ नि० स्वाहा / चैत्र वदी नौमी दिना, जनम्या श्री भगवान / सुरपति उत्सव अति कराया, मैं पूजों धर ध्यान / / ॐ ह्रीं चैत्र कृष्णानवम्यां जन्मकल्याणक प्राप्ताय श्रीआदिनाथ जिनेंद्राय अधू नि० स्वाहा / ___ तृणवत ऋद्धि सब छांडिके, तप धारयो बन जाय / नौमी चैत्र असेत की, जजूतिहारे पांय / / ॐ ह्रीं चैत्रकृष्णानवम्यां तपकल्याणक प्राप्ताय श्रीआदिनाथ जिनेंद्राय अर्घ नि० स्वाहा / फाल्गुन यदि एकादशी, उपज्यो केवल ज्ञान / इन्द्र आय पूजा करि, मैं पूजों यह थान / ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णा एकादश्यां ज्ञानकल्याणक प्राप्ताय श्री. आदिनाथ जिनेंद्राय अर्घ नि० स्वाहा / माघ चतुर्दशि कृष्ण की मोक्ष गये भगवान / भवि जीवोंको बोधिके, पहूँचे शिवपुर थान / / ॐ ह्रीं माघकृष्णाचतुर्दश्यां मोक्षकल्याणक प्राप्ताय श्री आदि नाथ जिनेंद्राय अर्घ नि० स्वाहा / जयमाला। आदीश्वर महाराज मैं विनती तुमसे करू / चारो गतिके मांहि मैं दुख पायो सो सुनो ! /