________________ नित्य नियम पूजा [ 127 'शुभशालि अखंडित सौरभ-मंडित, प्रासुकजलसौं धोकर ल्याय 'श्रीजीके चरण वढावो भविजन, अक्षय पदको तुरत उपाय / / श्री आदि० ।।अक्षतं / कमल केतली बेल चमेली, श्रीगुलाबके पुष्प मंगाय / श्री जीके चरण चढावो भविजन, कामबाण तुरत नशि जाय। श्री आदि० / / पुष्प / / नेवज लोना पट रस भोना श्रीजिनवर आगे धरवाय / थाल भराऊं क्षधा नशाऊ, ल्याऊ प्रभु के मंगल गाय / / श्री आदि० / नैवेद्यं / / जगमग जगमग होत दशो दिश,ज्योति रही मंदिर में छाय / श्रीजीके सन्मुख करत आरती, मोह-तिमिर नास दुखदाय // श्री आदि० / दीपं / / अगर कपर सुगन्ध मनोहर, चन्दन कूट सुगन्ध मिलाय / श्रीजोके सन्मुख खेय धुपायन, कर्म जरे चहूँ गति मिटजाय श्री आदि. ॥धूपं। श्रीफल और बदाम सुपारी केला आदि छुहारा ल्याय / मनमोक्ष-फल पावन कारन, ल्याय चढाऊं प्रभुजीके पांय / / श्री आदि० / फलं। शुचि निरमल नीरं गन्ध सुअक्षत, पुष्प चरुले मन हरषाय। दीप धूप फल अर्थ सु लेकर, नाचत ताल मृदंग बजाय / / श्री आदि०॥अ॥