________________ ..नित्य नियम पूजा............................१११.. हंसा छन्द यन्त्र विषै वरन्यो तिरकोन, ही तहं तीन युक्त सुखभोन / जल फलादि वसु द्रव्य मिलाय, अघे सहित पूजूशिनाय / / ॐ ह्रीं सर्वोपद्रवविनाशनसमर्थायत्रिकोणमध्ये तीनह्रीं संयुक्तायऽध्य तोमर छंद दश आठ दोष निरवारि, छयालीस महागुण धारि / वसु द्रव्य अनूप मिलाय, तिन चने जजों सुखदाय / / ॐ ह्रीं सर्वोपद्रवविनाशनसमर्थाय अष्टादशदोषरहिताय छयालीस महागुणयुक्ताय अर्हपरमेष्ठिने अर्ध / सोरठा-दश दिश दश दिग्पाल, दिशानाम सौ नामवर / तिनगृह श्रीजिन राज पूजो मैं वन्दौं सदा / / ॐ ह्रीं सर्वोपद्रवविनाशनसमर्थेभ्यो दशदिग्पालेभ्यः जिनभक्ति युक्तेभ्योऽयं निन / दोहा-ऋषिमण्डल शुभयन्त्र के देवी देव चितारि / __ अर्घ सहित पूजहूँ चरन, दुख दारिद्र निवारि / / ॐ ह्रीं सर्वोपद्रवविनाशनसमर्थेभ्यो ऋषिमंडल सम्बन्धदेवीदेवेभ्योऽयं निर्ग० / अथ जयमाला दोहा-चौबीसों जिन चरन नमि, गणधर नाऊं भाल / शारद पद पंकज नमूगाऊ शुभ जयमाल / जय आदिश्वर जिन आदिदेव, शत इन्द्र जऊँ मैं करहुँ सेव / जय अजित जिनेश्वर जे अजीत जे जीत भये भव ते अतीत // जय संभव जिन भवकूप मांहि ड्वतराखहु तुम शर्ण आंहि / जय अभिनंदन आनंद देत, ज्यों कमलों पर रवि करत हेत।