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________________ __ल ॐ उपसंहार 235 द्विसन्धान महाकाव्य, नाममालाकोष, जयधवलाटीका, लधीस्त्रयीवृत्ति तत्वार्थ राजवार्तिक, षडदर्शनसम्मुख आदि। बृहरकथाकोष, वर्धमानचरित, शान्तिनाथ चरित, चन्द्रप्रभचरित, धर्मशर्माभ्युदय, यशस्तिलक चम्पू, नीतिवाक्यामृत, प्रद्मुम्नचरित तिलक-मंजरी आदि। मोहराजपराजय, नेमिनिर्वाण - महाकाव्य, त्रिशष्ठिशलाकापुरूष चरित कुमारपालचरित, एवं धनेश्वर, श्रीपाल, हरिचन्द्र, पद्मानन्द, गुणचन्द एवं विजयपाल आदि द्वारा प्रणीत ग्रन्थ। षटखण्डागम, कसायपाहुड, पउमचरिय, वसुदेव, हिण्डी, कुवलयमाला जिनसहस्त्रनामस्त्रोत, चउपन्नमहापुरिसचरिय, महावीरचरिय, रयणचूडरायचरियं, धूर्ता, ख्यान, सुरसुन्दरीचरियं, कुमारपालचरित / आदि। पउमचिरत, रिट्ठणेमिचरिउ एवं पुष्पदन्त, त्रिभुवनस्वयम्भू, धनपाल द्वारा प्रणीत ग्रन्थ। यशोधरचरित, अनन्तनाथ चरित, नेमिनाथचरित, भरतेशवैभव, धर्मामूल, जीवकचिन्तामणि, शिलप्पडिकारम आदि। ॐ
SR No.032855
Book TitleJain Sahitya ka Samajshastriya Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Agarwal
PublisherClassical Publishing Company
Publication Year2002
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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