________________ ,156 जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास 264. वही 6/48 265. य०च०६/२६५-६७ 266. त्रिश०पु०च० 1/3/260. बं०च०२६/१०१ . 267. य०च०६/२६८-७०, बं०च० 11/16 268. बं०च०११/२, प्र०च० 6/35-40 266. वही 11/4, 11/34 300. बं०च०२६/६५, 6, 11/13-16 301. त्रिश०पु०च० 1/3/566-607 302. बं०च०४/१, 53, 3/43-44, व०च० 3/30, य०च०४/४७, नेच०श्लोक 117 303. पंचास्तिकाय श्लोक 128-30 304. बंच०३/४६, 2/19-85, व०च०४/१०६, त्रिशवुच० 1/1/557-58 305. व०च० 3/31, 12/12 306. व०च०३/३१, 15/72-73, त्रिश०पु०च० 1/3/586 307. वही 15/73 308. बं०च०४/२४ 306. व०च०१५/७३, बं०च०४/१०-२३ 310. बं०च०४/२५-२६, व०च० 15/27-73, 80 311. बं०च०४/२७-३२, व०च० 15/66, 73 312. बं०च०४/३३-३४, त्रिश०पु०च० 1/1/515, 538 313. व०च० 15/73 314. बं०च०४/३७, व०च०१५/७३ 315. व०च०१५/११ 316. बंच०४/३५, व०च०१५/७३, भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान पृ० 230 317. बं०च०४/३६, व०च० 15/73 317. व०च० 15/80 310. य०च०८/४६८-६६ 320. बं०च० 25/76-85 प्रस्तावना 32-34, य०च० 4: पृ० 57 . 321. व०च० 17/31-35, 16/38, ध०श०म० पंचम सर्ग 322. च०च० सर्ग 17 323. व०च० 3/53 324. व०च० 15/2