________________ 150 जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास 102. ध०श० 16 वॉ सर्ग 103. बं०च० 17/13-18 104. बं०च० 20/16-27 105. व०च० 7/56, 8/86 106. य०च०पू०ख०३/४३७, गद्यात्मक भाग पृ० 386 107. बं०च० 17/36-44, प्र०चं० 8/181 108. त्रिश०पु०च० 1/5/352-63 106. व०चा) 7/66 110. त्रिश०पु०च० 1/5/406-13 111. व०च०७/६१, 8/61 112. व०च०६/५, प्र०च०८/१८२ 113. जी०च० 10/38 114. जी०च० 10/103, बं०च० 17/6 115. च०च० १०वॉ सर्ग . 116. जी०च० 10/36, व०च० 6/11 117. जी०च० 10/68, त्रिश०पु०च० 1/5/413-34 118. त्रिश०पु०च० 1/5/42 116. व०च० 6/27 120. बं०च० 17/36-86 121. व०च०७/६४ 122. त्रिश०पु०च० 1/5/471-74, 510-17 123. वही 1/5/508-724 124. य०च०पू०ख 3/72 125. त्रिश०पु०चु० 1/4/14-47 126. वही 1/4/66-80 127. वही 2/4/76-126 128. त्रिश०पु०च० 1/4/146-55, 2/4/101-104 126. ध०श०म० 2/15, 16, 4/28 130. जी०च० 1/62, व०च० 14/3 131. बं०चं प्रस्तावना पृ० 32-34, 68-70, बं०चं० 25/2-4 132. त्रिश०पु०च०१/६/२२७-२६ 133. वही 1/6/226-50 134. आ०पु० 38/43, क०को०प्र०पृ० 122