________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [89 ធនធានធមេធគេទេ जल फल ले अर्घ सु दीजे, जिन वचन सुधा रस पीजे। तब कारज सब सुखदाई, सुनियो अब मेरे भाई॥१८॥ गिर विजय. // 19 // ॐ ह्रीं. // अर्घ॥ ___अथ प्रत्येकार्घ - सोरठा गिर पाश्चात्य सुनाम, विजयमेरु पूरव दिशा। जिनमंदिर अभिराम, अर्घ देत अति हर्षसों॥२०॥ ___ॐ ह्रीं विजय मेरुके पूरव दिश पाश्चात्य नाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ अर्घ॥ चित्रकूट वक्षार, विजय पूर्व दिशमें कहो। जिनमंदिर उर धार, अर्घ जजों वसु द्रव्य ले॥२१॥ ___ ॐ ह्रीं विजय मेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी चित्रकूट नाम गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥२॥ अर्घ॥ पद्म नाम वक्षार, विजय पूरव दिश जानिये। जिन मंदिर सुखकार, अर्घ जजो बहु प्रीतसो॥२२॥ ___ॐ ह्रीं विजय मेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी पद्मनाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥३॥ अर्घ॥ पूरव विजय सु आय, नलिन नाम वक्षार है। वसु विध अर्घ चढाय, श्री जिनमंदिर पूजिये॥२३॥ ॐ ह्रीं विजय मेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी नलिननाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥४॥ अर्घ॥ है त्रिकूट वक्षार, नाम विजय पूरव दिशा। जिन मंदिर सु निहार, पूजो अर्घ चढायकै // 24 // ॐ ह्रीं विजय मेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी त्रिकूटनाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो // 5 // अर्घ॥