________________ 80] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ==================== करत नेवज नैन सुहावनो,जिन सु पूज परम सुख पावनो। गिर विजय.६॥ ॐ ह्री.॥ नैवेद्यं // दीप मणिमई जगमग जोत है, जिन सु पूजत जोत उद्योत है। गिर विजय.॥७॥ ॐ ह्री.॥ दीपं // धूप दश विध खेवत लायके, जिन सु पूजत मन हरषायके। __ गिर विजय.॥८॥ ॐ ह्री.॥ धूपं॥ फल मनोहर मिष्ट मंगाइये, जिन सु पूजत शिवफल पाइये। __गिर विजय.॥९॥ ॐ ह्री.॥ फलं॥ जल सुफल व द्रव्य सुलीजिये, अर्घ श्रीजिनसन्मुख दीजिये। गिर विजय.॥१०॥ ॐ ह्री.॥ अर्घ // अथ प्रत्येकाघ-मद अवलिप्तकपोल छन्द विजयमेरु ते गिनो दिशा अग्नेय सु जानो। ता गजदंत सु नाम जान सोमनस प्रमानो॥ ता पर श्री जिनभवन बने सुन्दर सुखकारी। पूजत अर्घ चढाय लाल तिनपर बलिहारी॥११॥ ____ॐ ह्रीं विजयमेरुके अग्निदिश सोमनस नाम गजदन्त पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ अर्घ॥ मेरु विजय ते गिनो दिशा नैऋत्य सु लीजे। विद्युतप्रभ गजदंत नाम ताको जानीजे // तापर जिनवर धाम लसै अद्भुत तुम जानों। पूजत अर्घ चढ़ाय हरष उर अन्तर जानो॥१२॥ ॐ ह्रीं विजयमेरुके नैऋत्य दिश विद्युतप्रभ नाम गजदन्त पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥२॥ अर्घ॥