________________ 68] श्री तेरहद्वीप पजा विधान ធនធានធនធានមន तिहगिर शिखरकूट नौ उन्नत ता बिच सिद्धकूट अभिराम। तहां जिनभवन निहार धार उर, अर्घ चढावत शीस नमाय॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके उत्तर दिश नीलपर्वत पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥४॥ अर्घ॥ मेरु सुदर्शनकी उत्तरदिश रजत रुक्मगिर पर्वत नाम। द्रह महा पुंडरीक पंकज जुत तापर बुध देवीको धाम॥ तागिरशिखरकूट वसुशोभिततिहबीचसिद्धकूटअभिराम। तहां जिनभवन निहार धार, उर अर्घ चढावत शीस नमाय॥ ___ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके उत्तर दिश रुक्मगिर पर्वत पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥५॥ अर्घ॥ मेरु सुदर्शनकी उत्तरदिश हेमवरन शिखरन गिर नाम। पुंडरीक द्रह द्रह बिच पंकज जहां लक्ष्मी देवीको धाम॥ गिरके शिखर कूट एकादश सिद्धकूट तिह बीच सु ठाम। तहां जिनभवन निहार धार, उर अर्घ चढावत शीस रमाय॥ ___ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके उत्तर दिश शिखरिनगिर पर्वत पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥६॥ अर्घ॥ / मेरु सुदर्शन भद्र शाल बन सीतातट दोनों दिश मान। पांच पांच है कुंड मनोहर तिह तट दस दस गिर परमान॥ तिस कंचनगिरपर जिन प्रतिमा एकर सब पर सम मान। सबमिल एकशतक नितप्रति हम जजतअर्घतजकेअभिमान॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके भद्रशाल वन सम्बन्धी सीता नदीके दोनों तट पांच पांच कुंड तिस एक एक कुन्ड तट दस दस कंचनगिर तीन कंचनगिर पर एक एक जिनप्रतिमा अकीर्तम गन्धकुटीसहित विराजमान तिन सौ प्रतिमाको॥७॥ अर्घ //