________________ 62] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ផល១២៨៨៨៨៨៨៨===== अथाष्टकं-कुसुमलता छन्द क्षीरो दधि उजल जल लेकर, श्रीजिनपद प्रक्षालित जा / / जन्म जरा दुख दूर वरनको, धार देत अति मन हरषा // मेरू सुदर्शनकी उत्तर दिश, ऐरावत है क्षेत्र सु नाम। जहां पडो बैताड मनोहर, तहां जजों जिनवरके धाम॥ ___ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके उत्तर दिश ऐरावत क्षेत्र सम्बन्धी रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ जलं॥ केसर अरु करपूर मिलाके मलयागिर चंदन घस लाय। भव आताप हरण जिनवर पद, तिन्हैं चढावत दाह नशाय॥ मेरु सुदर्शन.॥२॥ ॐ ह्रीं. // चंदनं॥ मुक्ताफल सम उज्जल अक्षत, पुंज चढावत प्रीत लगाय। अक्षय पद पावै तहां भविजन,जिन चरणांबुज मस्तक नाय॥ मेरु सुदर्शन.॥३॥ ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ वेल चमेली श्री गुलाब ले, सुरतरुके बहु फूल मंगाय। सुरनर विद्याधर सब लेले, श्री जिन चरण चढ़ावत आय॥ मेरु सुदर्शन.॥४॥ ॐ ह्रीं. // पुष्पं // घेबर बाबर फेनी लाडू, खाजे ताजे तुरत बनाय। क्षुधारोगके दूर करनको, जगत जिनेश्वर मंगल गाय॥ मेरु सुदर्शन.॥५॥ ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं // जगमग जोत होत मंदिरमें, मणिमई दीप अमोलक लाय। मोहतिमिरके नाश करनको, करो आरती श्री जिनराय॥ मेंरु सुदर्शन.॥६॥ ॐ ह्रीं. // दीपं॥