________________ 60] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ផលជលផលផលនៅសលផលជលផល पद्धडी छन्द जै जै श्रीमेरु सु प्रथम जान है नाम सुदर्शन सुख निधान। जै षोडश तहां जिनभवन सार,बन रहें अकीर्तम हिये धार॥ जै तहां तीर्थंकर न्हवन होय, ताकी महिमा वरणे सु कोय। जै जाकी दक्षिण दिश बखान, तहां भरतक्षेत्र शोभे महान॥ जै जै तहां काल सहों सुरीत, वरने जिन आगम कही मीत। जै तीन कालमें भोंगभूम, जै कल्पवृक्ष तहां रहे झूम॥ जै चौथेमें जिनराज जन्म, जै चौवीसों भाषे सु पर्म। जै नारायण बलदेव जान, प्रतिहर, चक्री त्रेसठ महान॥ जै भरतक्षेत्र महिमा अपार, तहा कर्मभूम वरतै विचार। ता बीच पडो बैताड आन, तापर नौ फूट अनूप जान॥ वसु कूट सरस सुन्दर अवास, तहां बिंतर देव करें निवास। नौमो श्रीसिद्ध सुकूट जान, जहां श्रीजिनमंदिर शोभमान॥ ताकी उपमान वरनै सु कोय, सब रतनमई द्युति दिपै सोय। ऐसो जिनभवन बनो विशाल,तिनमैं जिनबिंब लसै विशाल॥ तन उचित पांचसै धनुष काय, पद्मासन छवि वरनी न जाय। शत आठ कहे जिनवर बखान,सुर विद्याधर पूजत सु आन॥ जै रचना समवशरन प्रमान, बन रहि अनादि तनी सुजान। जै सुर नर पूजा करें आय, जै वसुविध द्रव्य सु ले बनाय॥ जै नृत्य करत बाजे बजाय, जै भावभक्ति उरमें सु लाय। जिनराज चरणको सीस नाय, निजर थानक पहुँचे सुजाय॥ घत्ता-दोहा-जो बांचें यह पाठको, तन मन प्रीत लगाय। महिमा ताके पुन्यको, मो पर कही न जाय॥२३॥