________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [275 sorunurrrrrrrrrurynururunurrun मनमोहन मनहरन सु अक्षत, मुक्ताफल सम लीजे। श्री सर्वज्ञ प्रभुके आगे, पुंज मनोहर दीजे // ___ पंचमगिर. // 4 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ सरस सुगंधित फूल सु लेकर, श्री जिनमंदिर जावो। श्री जिन चरन कमलकी पूजा, करकै आनंद पावो। पंचमगिर. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं // नानाविध पकवान मनोहर, ताजे तुरत बनावो। रसना रंजन सुरस सुविजन श्री जिनचरन चढ़ावो॥ पंचमगिर. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं // जगमग जोति होत दीपककी रत्न अमोलिक लावो। आरती कर जिनराज प्रभूकी हरष हरष गुण गावो॥ पंचमगिर. // 7 // ॐ ह्री. // दीपं // चंदन अगर सुगंध सु दसविध, श्रीजिन आगे खेवो। ज्ञानावरनादिक कर्मनके, नाशकरन प्रभु सेवो॥ पंचमगिर. // 8 // ॐ ह्रीं. ॥धूपं // लौंग छुहारे पिस्ता आदिक, फल लावत बहु नीके। मनवांछित फल पावत भविजन पूजत पद जिनजीके। पंचमगिर. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ जल फल आठों दर्व मिलाकर, अर्घ बनाय सु लावो। श्री जिन चरन चढ़ाय सु भविजन, लाल सदा बल जावो॥ पंचमगिर. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ //