________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [267 ធនធានធនធាន पश्चिम पंचम मेरुके सरिता देश महान। विजयारधकी शिखर पर, पूजों जिनवर थान॥१९॥ ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी सरिता देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो / / 8 / / अर्घ / / छन्द विद्युन्गिर पश्चिम कहिये, तहां वप्रा देश जु लहिये। विजयारध गिरपर जाइये, जिनभवन जजत सुख पइये। ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी वप्रा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥९॥ अर्घ // गिर विद्युन पश्चिम सोहैं, तहा, देश सुवप्रा मोहै। वैताड़ सिखर पर जाई, पूजों जिनमंदिर भाई॥२१॥ ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी सुवप्रादेश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१०॥ अर्घ॥ पंचमगिर पश्चिम गाए, महावप्रा देश बताए। रूपाचल पर शिखर सुहाए, जिन गेह जजों हरषाए॥२२॥ ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी महावप्रा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो // 11 // अर्घ॥ चौपाई विद्युनगिरि पश्चिम दिश जान, देश वप्रकावती महान। विजयारध गिरपर जिन धाम, वसुविध पूजो शीश नमाय॥ ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी वप्रकावती देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१२॥ अर्घ॥