________________ 258] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान NNNNNNNNNNNNNErraraNPNRN मलयागिर चंदन केशर जु मिलायकै / जजत जिनेश्वर चरन सु प्रीत लगायकै॥ विद्यु, गिर. // 4 // ॐ ह्री. // चंदनं॥ चंद्र किरन सम उज्वल अक्षत लीजिये। श्री जिन आगे पुञ्ज मनोहर दीजिये। विद्यु. गिर. // 5 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ नानाविधके फूल सुगंधित लायके / पूजत जिनवर चरण सु मन हरषायके // विद्यु. गिर. // 6 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं॥ बावर घेवर मोदक तुरत बनायके / श्री सर्वज्ञ चरणको पूजत जायके // विद्यु. गिर. // 7 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ जगमग जोत प्रकाश सु दीपक धर तहां। जजत जिनेश्वर चरन विराजत हैं तहां॥ __विद्यु. गिर. // 8 // ॐ ह्री. // दीपं॥ परमलता गुण धूप मनोहर ले यकै / ले श्री जिनवर आगै देत सु खेयकै // विद्यु. गिर. // 9 // ॐ ह्रीं. // धूपं॥ फल अति मिष्ट सु इष्ट सरस रससों भरे। ले सुन्दर भर थार सु जिन आगै धरै // विद्यु, गिर. // 10 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ आठों दर्व मिलाय सु अर्घ बनायके / श्री जिन चरन चढ़ावो भवि मन लायके॥ विद्यु. गिर. // 11 // ॐ ह्रीं. // अर्घ //